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बी.एड और एम.एड कोर्स को लेकर NCTE ने किया यह बड़ा बदलाव, अब 1 वर्ष का होगा कोर्स B.ed Cource Rule Change

B.ed Cource Rule Change शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन के तहत, ... Read more

B.ed Cource Rule Change शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन के तहत, नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजुकेशन (NCTE) ने बी.एड (बैचलर ऑफ एजुकेशन) और एम.एड (मास्टर ऑफ एजुकेशन) कार्यक्रमों की अवधि में बदलाव की घोषणा की है शैक्षणिक सत्र 2026-27 से, ये दोनों कोर्स फिर से एक वर्षीय हो जाएंगे यह निर्णय लगभग एक दशक बाद लिया गया है, क्योंकि 2014-15 में इन कोर्सों की अवधि को एक वर्ष से बढ़ाकर दो वर्ष कर दिया गया था।

इस बदलाव का मुख्य उद्देश्य शिक्षकों की शिक्षा को अधिक सुलभ और प्रभावी बनाना है इसके साथ ही, एनसीटीई ने पार्ट-टाइम एम.एड कार्यक्रम की भी शुरुआत की है, जो विशेष रूप से उन शिक्षकों और शैक्षणिक प्रशासकों के लिए है जो अपनी सेवा के साथ-साथ उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहते हैं यह पहल उन पेशेवरों के लिए एक सुनहरा अवसर प्रदान करती है जो अपनी शैक्षणिक योग्यता में वृद्धि करना चाहते हैं।

दो वर्षीय बी.एड कोर्स बंद नहीं होगा

हालांकि एक वर्षीय बी.एड और एम.एड कार्यक्रमों की शुरुआत की जा रही है, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि दो वर्षीय बी.एड कार्यक्रम को समाप्त किया जाएगा एनसीटीई के अध्यक्ष के अनुसार, दोनों कार्यक्रम समानांतर रूप से चलेंगे, जिससे छात्रों को अपनी आवश्यकताओं और योग्यता के अनुसार विकल्प चुनने की स्वतंत्रता होगी।

एक वर्षीय बी.एड में प्रवेश के लिए पात्रता

एक वर्षीय बी.एड कार्यक्रम में प्रवेश के लिए, उम्मीदवारों को चार वर्षीय स्नातक या स्नातकोत्तर डिग्री (जैसे बी.ए., बी.एससी., एम.ए., एम.एससी.) पूरी करनी होगी तीन वर्षीय स्नातक डिग्री धारक छात्रों के लिए दो वर्षीय बी.एड कार्यक्रम उपलब्ध रहेगा।

बदलाव का कारण

एनसीटीई के अनुसार, 2015 में दो वर्षीय एम.एड कार्यक्रम से अपेक्षित लाभ नहीं मिल पाए थे, जिसके परिणामस्वरूप कई संस्थानों में सीटें खाली रह गई थीं इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए, एक दशक बाद एक वर्षीय बी.एड और एम.एड कार्यक्रमों को फिर से शुरू करने का निर्णय लिया गया है, ताकि शिक्षक शिक्षा में सुधार हो सके और अधिक से अधिक उम्मीदवार इन कार्यक्रमों का लाभ उठा सकें।

इस नए बदलाव से शिक्षा के क्षेत्र में सकारात्मक प्रभाव की उम्मीद है, जिससे शिक्षकों की गुणवत्ता में वृद्धि होगी और शिक्षा प्रणाली को मजबूत बनाया जा सकेगा।

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